डीडीसी के जगह डीपीआरओ होंगे जिलापरिषद के अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (ACEO)

DDC

बिहार: शिक्षकों का काम हो जाएगा आसान। 

सेवापुस्तिका संधारण, अवकाश स्वीकृति, स्थानांतरण एवं शिक्षक नियोजन में शिक्षकों को आसानी होगा।

जिला परिषद कार्य से "डीडीसी" और प्रखंड में पंचायत समिति के कार्य से "बीडीओ" अलग हुए, "डीपीआरओ" और पीआरओ होंगे अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी।

पटना: बिहार सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला करते हुए जिला परिषद के कार्यों से जिला उप विकास आयुक्त (डीडीसी) और प्रखंड में पंचायत समिति को अलग कर दिया है। जिलों में पदस्थापित जिला पंचायत राज पदाधिकारी (डीपीआरओ), प्रखंड में पंचायत राज पदाधिकारी (पीआरओ) को अपने कार्यों के अतिरिक्त अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद और प्रखंड में पंचायत समिति का प्रभार भी सौंपा जाएगा। इससे संबंधित एक पत्र भी मंगलवार को पंचायती राज विभाग द्वारा जारी किया गया है। PDF Letter पेज में नीचे अटैच्ड है।

बिहार के पंचायती राज सरकार के द्वारा ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। उप विकास आयुक्त अब जिला परिषद का कार्य नहीं करेंगे। इसके लिए नयी व्यवस्था बनायी गई है जिसमे अब जिला परिषद में डीपीआरओ अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी होंगे।

उन्होंने बताया कि इससे संबंधित पत्र सभी जिलाधिकारियों एवं संबंधित पदाधिकारी को भेजा गया है।

पंचायती राज विभाग के नियंत्रणाधीन विभिन्न जिलों में पदस्थापित जिला पंचायत राज पदाधिकारी को अपने कार्यों के अतिरिक्त अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद का प्रभार दिया जायेगा।

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जिला पंचायती राज पदाधिकारी को यथाशीघ्र अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को जिला परिषद का प्रभार स्वत: ग्रहण करने का आदेश दिया गया है। इसकी सूचना जिलाधिकारी के माध्यम से विभाग को भेजा जाएगा।

इसका मुख्य उद्देश्य पंचायती राज को और मजबूत करना है।

डीपीआरओ बने अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी

जिला परिषद को 15वें वित्त आयोग और 6ठें राज्य वित्त आयोग के तहत विकास की राशि मिलती है जिसके माध्यम से चुने गये जिला पार्षद अपने-अपने क्षेत्रो में विकास का काम करते हैं। जिला परिषद की मार्फत ही सिंचाई, सीएचसी, पीएचसी और हेल्थ सब सेंटरों में डायग्नोस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर और भवनहीन अस्पतालों का निर्माण कराना है। 15वें वित्त आयोग से हेल्थ सेक्टर ग्रांट के रूप में इस वर्ष 904 करोड़ रुपए मिलने हैं।

शिक्षकों को काम आसान होगा।

उप विकास आयुक्त को पहले से ही पंचायती राज कर विकास कार्यो यथा मनरेगा, प्रखंड विकास, जिला परिषद अंतर्गत स्वामित्व, भवन निर्माण आदि कार्यों का भार पहले से ही था। वर्ष 2006 में नियोजित शिक्षकों के नियोजन के लिए भी उप विकास आयुक्त (डीडीसी) और नगर आयुक्त को शिक्षक नियोजन इकाई का मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी बनाया गया। शिक्षक नियमावली में शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया, विभिन्न प्रकार के अवकाश यथा चिकित्सा अवकाश, मातृत्व अवकाश एवं शैक्षणिक अवकाश सहित नियोजन इकाई के अंदर स्थानांतरण, वेतन भुगतान आदि महत्वपूर्ण कार्यों को भी इन्हें ही संपादित करने का अधिकार प्राप्त था।  इनके अति व्यस्तता कर कारण शिक्षकों को छोटा से छोटा काम के लिए महीनों कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता था।

📥 Download Official PDF Letter

  • प्रखंड पंचायत पदाधिकारी कोप्रभार सौंपने संबंधी पत्र Click Here
  • जिला परिषद के स्वतः प्रभार डीपीआरओ को Click Here
  • पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी Click Here

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