बीपीएससी से 40 हजार प्राथमिक विद्यालयों में होगी प्रधान अध्यापकों की बहाली, यहां देखें पात्रता
पात्रता : प्रधान अध्यापक पद के लिए स्नातक और बीएड के अलावा पांच वर्ष का अनुभव। प्रधानाध्यापक पद हेतु स्नातकोत्तर और बीएड/एमएड तथा न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव। निजी विद्यालयों में शिक्षण कार्य या विद्यालय प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल रहे योग्य एवं अनुभवी शिक्षकों को भी मौका दिया जाएगा।
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के माध्यम से प्रदेश के तकरीबन 40 हजार सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान अध्यापक और 5038 नए (उत्क्रमित) उच्च माध्यमिक विद्यालयों में हेडमास्टर (प्रधानाध्यापक) की बहाली होगी। खास बात यह कि देश के आजादी के बाद पहली बार प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान अध्यापक के पद का सृजन और फिर उस पर बहाली प्रक्रिया सुनिश्चित की जा रही है। गत 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्कूली शिक्षा के विकास एवं गुणवत्ता में सुधार के लिए विद्यालय स्तर पर कुशल एवं प्रभावी नेतृत्व की आवश्यकता जतायी थी तब उन्होंने प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान अध्यापक का संवर्ग और उच्य माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक संवर्ग का गठन करने की घोषणा की थी।
मुख्यमंत्री की घोषणा पर तत्काल अमल करते हुए शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान अध्यापक और नए उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक की नियुक्ति हेतु पदों का सृजन कर लिया गया है और अब इस पर मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिलने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से लिखित परीक्षा के आधार पर बहाली की जाएगी। इसके लिए सरकार की ओर से आयोग को नियुक्ति संबंधी अधियाचना भेजी जाएगी। प्रधान अध्यापकों और प्रधानाध्यापकों को विद्यालय प्रबंधन एवं संचालन हेतु विशेष अधिकार भी दिए जाएंगे क्योंकि ये सभी शिक्षा विभाग के गाइडलाइन पर कार्य करेंगे। ये नियोजन इकाइयों से बाहर रहेंगे और इनका अलग संवर्ग व वेतनमान होगा। इस व्यवस्था से स्कूली शिक्षा व्यवस्था में दूरगामी बदलाव एवं सुधार का मार्ग प्रशस्त होगा। राज्य में 29 हजार मध्य विद्यालयों में पहले से प्रधानाध्यापकों के पद सृजित हैं और उनमें जितने पद खाली हैं उन्हें चिन्हित कर आयोग के माध्यम से लिखित परीक्षा के आधार पर चयनित प्रधानाध्यापकों से ही भरा जाएगा।